ye bhee dekhen

 

पसंद करें

चिट्ठाजगत

Monday, May 18, 2009

vyang

अन्तर्राष्ट्रिय हाईपर्टेन्शन डे
अब क्या कहें एक और दिन आ गया मनाने के लिये इन्ट्र्नैशनल हाईपरटेन्शन डे मै ये तो नही जानती कि इसे कैसे और किस को मनाना चाहिये
मगर एक बात की खुशी है किमुझे इसे मनाने मे कोई ऐतराज या परेशानी नहि है आप लोग भी परेशान मत होईये हमरे देश मे आज कल् ये दिन मनाने के लिये माहौल भी है और लोग भी हैं जिन्हें हाईपरटेन्शन हो गयी है उन मे कुछ्ह तो वो जो प्रधानमंन्त्री बनने के सपने देख रहे थे पर सपने सपने ही रेह गये और कुछ वो जो हार गये कुछ जो बन गये उन्हे आगे की चिन्ता सता रही है के मन्त्रीपद मिलेगा कि नहीं जो वर्कर्स हैं वो भी जोड तोड मे लगे हैं कि अब कौन कौन से लाभ उठायें इस लिये हर शहर मे बडे पैमाने पर ये दिन मनाया जाना चाहिये कि भाई सपने तो जरूर देखो मगर अपने कद और हैसियत के अनुसार अगर बडे सपने देखने ही हैं तो राहुल बाबा की तरह गलियों की खाक छानो और पसीन बहाओ टेन्शन चाहे फिर भी रहेगी पर हाईपरटेन्शन नही होगी इस तरह ये देश हाईपर्टेन्शन से मुक्त हो जायेगा याद रखो ये एक साईलेन्ट किलर है

Thursday, May 14, 2009

vyang

अंतर्राष्ट्रिय परिवार दिवस

अब रोज़ ही हम कोई ना कोई दिवस मनाने लगे हैँ
जब सच्चा प्यार नही रहा तो वेलेन्टाइन डे-माँ बाप के
प्रती वो श्रध्दा नही रही तो मदर्ज़ डे-फादर्ज़ डे लोगों मे
सदभावना नही रही तो सदभावना दिवस ऐसे ही ना
जाने कितने दिन हम मनाने लगे हैअब परिवार दिवस
अब भावनाओंवालेदिवस तो हम चेहरे पर झूठै मखौटे
लगा कर मना लेते है मगर ये परिवर दिवस मनाने
के लिये तो परिवार चाहिये परिवार आज कल कहाँ
से लायेंगे हमारे यहाँ तो किराये पर भि परिवार
नही मिलेगा क्यों कि हम तो रहते ही्रिटायर्ड लालोनी मे हैं
सास ससुर जेठ जेठानी देवर नन्द तो सब अपने अपने
अलग घर मे रहने लगे हैं लडके भी अपनी अपनी
पत्नियों को लो ले कर् अलग रहने लगे हैँ बेटियाँ
अपनी अपनी ससुराल चली गयी हैं अब ये बूढा बुडिया
अकेले क्या परिवार दिवस मनायेंगे फिर भी लोग कहाँ
मानते हैं कोई ना कोई जुगाड दिन मनाने के लिये फिट
कर ही लेते हैं सो हमारी कलोनी के सभी रिटायरी लोगों ने
मिल कर ये दिन मनाने का फैसला कर लिया है सब बूढे
खुश हैं कि चलो एक दिन तो बडिया खाना मिलेगा अब मूँग
की दाल खाते खाते वो भी तंग आ जाते हैं कल हल्वाई
बैठेगा खूब दावत उडेगी सब के बच्चो ने भी दावत के लिये
मंजूरी भेज दी है साथ मे कुछ पैसे भी जिनके बच्चों ने नही
भी भेजे उनको भी आमंत्रित किया गया है मेरी आप सब
से विनती है कि आप सब लोग भी सादर आमंत्रित हैं
मुझे पता है कि आपमे से अधिक लोगों का परिवर बिखरा
हुआ हैफिर बेटी वाले भी हैं उनका कौन सा परिवार रह जाता है बस
अकेले माँ बाप इस लिये ये दिवस मनाना और भी जरूरी हो गया है
चलो इसी बहाने बीते हुये उन प्यार भरे लम्हों को भी याद कर लेंगे
जब परिवार हुआ करते थे परिवार मे प्रेम प्यार सदbभाव् और
मेल मिलाप हुआ करता था तो आओ फिर धूमधाम से
परिवार दिवस मनाते हैं अखिर दस बीस लोग होंगे तभी
परिवार लगेगा आप सब को परिवार दिवस की बहुत बहुत बधाई

Sunday, May 10, 2009

laghu kathaa

मदर्ज़ -डे
अब बुढापे मे कोइ ना कोई रोग तो लगा ही रहेगा! सावन के महीने मे शिव मंदिर रोज़ जाती हूँ1 सुबह मंदिर से आने मे देर हो गयी1्रात से ही लग रहा था कि बुखार है1 अते हुये रास्ते मे जरा बैठ गयी1 घर आने मे देर हो गयी1 घर पहुँची तो बहू बेटा दफ्तर के लिये जा चुके थे1 काम वाली मेरा ही इन्तज़ार कर रही थी मेरे आते ही वो भी चली गयी1ब्च्चे भी स्कूल चले गये थे1 चाय बनाने की भीहिम्मत नही थी सो ल्लेट गयी1 पता नही कब आँख लग गयी1
दोपहर को बच्चे स्कूल से आये तो घँटी की आवाज़ सुन कर उठी1 शरीर बुखार से तप रहा था1 किसी तरह ब्च्चों को खाना खिला कर अपने लिये तुलसी वाली चाय बनाई1 लेट गयी सोचा शाम को बहु बेटा आयेंगेतो डाक्टर को दिखा लायेंगे1 बच्चों को अकेले छोद कर जाती भी कैसे1
शाम को पाँच बजे काम वाली आयऔर आते ही बोली 'माँजी मै सुबह बताना भूल गयी थी बहुरानी कह रही थी कि आज दोनो दफ्तर से सीधे अपने मायके जाएंगे खाने का इन्तज़ार ना करें1 आज वो मदर्ज़--डे है ना1बहु ने अपनी माँ को विश करने जाना है1 पार्टी भी है वहाँ1
वो क्या होता है मुझे देसी भाशा मे बता1
वो माँजी आज्कल के बच्चों के पास माँ-बाप के लिये समय तो है नहींइस लिये साल मे एक दिन कभी मदर्ज़ -डे और कभी फादर्ज़ -डे मना लेते हैंबस विश क्या कार्ड दिया और साल भर की छुट्टी1 ये सब पढे लिखों के चोंचले हैं1
मै सोच मे पड गयी1 अनपढ या सीधी सादी औरत क्या माँ नही होती 1 मुझे तो किसी ने विश नही किया1मन बुझ सा गया1 फिर सोचा च्लो मदर्ज़-डे है मोथेर होने के नाते मेरा कर्तव्य बनता है कि मै ब्च्चों की भावनाओं का ध्यान रखूं1 बुखार ही है कल डा. को दिखा लूँगी1 अब पढी लिखी बहु और उसके अमीर मायके के रिती रिवाज़ तो पूरे करने ही पडेंगे1 बेटा भी क्या करे