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Thursday, May 14, 2009

vyang

अंतर्राष्ट्रिय परिवार दिवस

अब रोज़ ही हम कोई ना कोई दिवस मनाने लगे हैँ
जब सच्चा प्यार नही रहा तो वेलेन्टाइन डे-माँ बाप के
प्रती वो श्रध्दा नही रही तो मदर्ज़ डे-फादर्ज़ डे लोगों मे
सदभावना नही रही तो सदभावना दिवस ऐसे ही ना
जाने कितने दिन हम मनाने लगे हैअब परिवार दिवस
अब भावनाओंवालेदिवस तो हम चेहरे पर झूठै मखौटे
लगा कर मना लेते है मगर ये परिवर दिवस मनाने
के लिये तो परिवार चाहिये परिवार आज कल कहाँ
से लायेंगे हमारे यहाँ तो किराये पर भि परिवार
नही मिलेगा क्यों कि हम तो रहते ही्रिटायर्ड लालोनी मे हैं
सास ससुर जेठ जेठानी देवर नन्द तो सब अपने अपने
अलग घर मे रहने लगे हैं लडके भी अपनी अपनी
पत्नियों को लो ले कर् अलग रहने लगे हैँ बेटियाँ
अपनी अपनी ससुराल चली गयी हैं अब ये बूढा बुडिया
अकेले क्या परिवार दिवस मनायेंगे फिर भी लोग कहाँ
मानते हैं कोई ना कोई जुगाड दिन मनाने के लिये फिट
कर ही लेते हैं सो हमारी कलोनी के सभी रिटायरी लोगों ने
मिल कर ये दिन मनाने का फैसला कर लिया है सब बूढे
खुश हैं कि चलो एक दिन तो बडिया खाना मिलेगा अब मूँग
की दाल खाते खाते वो भी तंग आ जाते हैं कल हल्वाई
बैठेगा खूब दावत उडेगी सब के बच्चो ने भी दावत के लिये
मंजूरी भेज दी है साथ मे कुछ पैसे भी जिनके बच्चों ने नही
भी भेजे उनको भी आमंत्रित किया गया है मेरी आप सब
से विनती है कि आप सब लोग भी सादर आमंत्रित हैं
मुझे पता है कि आपमे से अधिक लोगों का परिवर बिखरा
हुआ हैफिर बेटी वाले भी हैं उनका कौन सा परिवार रह जाता है बस
अकेले माँ बाप इस लिये ये दिवस मनाना और भी जरूरी हो गया है
चलो इसी बहाने बीते हुये उन प्यार भरे लम्हों को भी याद कर लेंगे
जब परिवार हुआ करते थे परिवार मे प्रेम प्यार सदbभाव् और
मेल मिलाप हुआ करता था तो आओ फिर धूमधाम से
परिवार दिवस मनाते हैं अखिर दस बीस लोग होंगे तभी
परिवार लगेगा आप सब को परिवार दिवस की बहुत बहुत बधाई

15 comments:

  1. तीखा व्यंग्य !!

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  2. सटीक!!

    परिवार दिवस की बहुत बहुत बधाई :)

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  3. PADHNE KE BAAD YE BYANG AANKHE NAM HO GAYEE... KIS MANO BHAAV SE AAPNE LIKHAA HAI MAIN SAMAJH SKATA HUN.... (MUNG KI DAAL KHATE KHATE TANG HO GAYE)...

    PARIVAAR DIWAS PE BADHAAYE DENAA ACHHA TO NAHI LAG RAHAA MAGAR KYA KARUN...

    AAPKA
    ARSH

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  4. धार बहुत तेज़ है

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  5. सच पूछो तो हरेक दिन परिवार का दिन होना चाहिए ...हरेक दिन , सेहत का दिन होना चाहिए ..हरेक दिन राष्ट्र प्रेम को उजागर करने वाला दिन होना चाहिए ...
    हम तथाकथित आपाधापी में सब भूल बैठते हैं ...समय निकलना चाहें तो निकल जाता है ...दुनिया में जो सबसे अधिक व्यस्त व्यक्ति होता है , उसके पास सबसे अधिक समय होता है ...क्योंकि ऐसे व्यक्ती समय का व्यवस्थापन करते हैं ....!
    कुदरत ने सभी को दिन के २४ घंटे दिए हैं...महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, जैसे लोग, इन्हीं २४ घंटों में क्या कुछ नही कर गुज़रे...!
    गर किरण बेदी का उदहारण लें( समय के व्यवस्थापन के लिहाज़ से) तो ग़लत नही होगा!!समय ना मिलना, एक बहाना भर होता है, जिसे हम हर वक़्त एक ढालकी तरह इस्तेमाल करते हैं..!

    You seem to have snatched words from many a mouths !

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  6. I am sorry, I forgot to leave my links..:

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    Remaining links will be there on every blog!
    Wonderful musings & thoughts !

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  7. aapke vicharo se bilkul sahamat hoon ,jahan sneh aur lagaw nahi ,man me sachchi bhawna nahi .to dikhawe ke liye ye sab kyo ?aapke blog pe pahali dafe aayi achchha laga .

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  8. BEER BAHUTI KE LIYE "KRISHI CHAUPAL" BLOG PR JAYE.BEER BAHUTI KI MARFAT BEDO KI KAHANI PADHE V MARGDARSHAN KRE.

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  9. बहुत सुन्दर चित्र उकेरा है आपने आज का।

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  10. एकदम सच लिखा है आपने. सोचनीय है.शुभकामनाएं. लिखते रहिये.
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    Till 25-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर]

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  11. vivid and bold presentation in every article. Good wishes.

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  12. आपने बहुत बढिय़ा लिखा है। जब मानव में संवेदनाएं ही मर रही हैं तो वह कोई दिवस विशेष क्या खाक उसे फिर से अंकुरित और प्रस्फुटित कर सकेगा!

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